नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका RDN Notes ब्लॉग में। तो आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले है “मम दिनचर्या संस्कृत निबंध” के बारे में। and essay on Importance of Sanskrit Language in Sanskrit and बने रहिये इस Article में और जानिए पूरे Details में।
मम दिनचर्या संस्कृत निबंध ( essay on Importance of Sanskrit Language in Sanskrit )
- प्रत्येक मानवस्य भवति दिनचर्या पृथक् भवति।
- अहं एकः छात्रः अस्मि ।
- अहं दूरामकक्षायां पठामि ।
- अहं प्रतिदिन प्रातः षड्वादने उत्तिष्ठामि।
- मम माता गृहकार्य करोति ।
- अहं चायस्य एक चषक पिबामि ।
- अहं तां साहाय्यं करोमि ।
- तत्पश्चात् एकादशवादने भोजनं करोमि ।
- तत्पश्चात् अहं विद्यालयं गच्छामि ।
- सायं षड्वादने अहं गृहम् आगच्छामि ।
- तत्पश्चात् अहं सायं प्रार्थना करोमि ।
- तत्पश्चात् अहं पुस्तक पठामि ।
- तत्पश्चात् अहं दशवादने शयनं करोमि ।
- एषा भवति मम दिनचर्या ।
हिंदी अनुवाद
- हर इंसान की दिनचर्या अलग-अलग होती है।
- मैं पढ़ता हूं।
- मैं दूर की कक्षा में पढ़ रहा हूं।
- मैं हर सुबह छह बजे उठता हूं।
- मेरी माँ घर का काम करती है।
- मैं एक कप चाय पी रहा हूँ।
- मैं उसकी मदद कर रहा हूं।
- उसके बाद ग्यारह बजे लंच करता हूं ।
- उसके बाद मैं स्कूल जाता हूं ।
- मैं शाम को छह बजे घर आता हूं ।
- उसके बाद शाम को प्रार्थना करता हूं ।
- उसके बाद मैंने किताब पढ़ी ।
- उसके बाद मैं दस बजे बिस्तर पर चला जाता हूं।
- यह मेरी दिनचर्या बन जाती है।
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