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समान्तर प्लेट संधारित्र की रचना तथा इसकी धारिता के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए
रचना -
धारिता के लिए व्यंजक
माना तथा B धातु की दो आयताकार या बेलनाकार प्लेटो है, जो व दूरी पर एक-दुसरे के समान्तर रखी है। उनमे से A को पृथक्कृत तथा B को पृथ्वीकृत किया गया है दोनों प्लेटो के मध्य परावैपुतांक माध्यम k हैं। प्लेट A को +Q आवेश दिया जाता है तब प्लेट B के निकटतम पृष्ठ पर - Q आवेश तथा बाह्यतम पृष्ठ पर +Q आवेश प्रेरित हो जाता है। चूँकि 1B को पृथ्वीकृत किया गया है, इसलिए प्लेट B का +Q आवेश पृथ्वी मे चला जाता है तथा प्लेट B पर - Q आवेश शेष बचता है। विद्युत बल रेखाय बनावेश से प्रारम्भ होकर ऋदणावेश मे समाप्त होती है। ये सभी विद्युत बल रेखाएँ एक-दूसरे के समान्तर होती है।
यदि प्लेट पर, आवेशों का पृष्ठ घनत्व σ है, तो
σ = Q/A
प्लेट A पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E1
E1 = σ/2kɛ0
प्लेट B पर के लिए E2
E2 = σ/2kɛ0
कुल विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = E1 + E2
➾ E = σ/2kɛ0 + σ/2kɛ0
➾ E = σ + σ/2kɛ0
➾ E = 2σ/2kɛ0
➾ E = σ/kɛ0 [ σ = Q/A]
➾ E = Q/kɛ0A
विभावन्तर
VA - VB = E × d
➾ VA - VB = Qd/kɛ0A
धारिता
C = Q/V
➾ C = Q/Qd/kɛ0A
➾ C = kɛ0A/d फैरड
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Thank you so much 🙏 by Shafhimo